अलग होना ठीक है?
क्या अलग होना ठीक है? क्या लग सोच रखना ठीक है? हम अलग होते है तू समाज हमे अस्वीकार करती क्यों है? अगर हाँ तो हमे समाज अलग रहने की सज़ा क्यों देता है? इतने सरे प्रश्न होंगे आप के पास यह विषय से ले कर। हाँ! अलग होना समाज से हटके सोचना , देखना ठीक है! आप को हमेशा कहते होंगे की यह कर वार्ना लोग तुम में पे हसेंग, इस बात के लिए में सिर्फ एक चीज़ बोलूंगी जो हमारे प्रसिद्ध किशोर कुमार जी ने गया है "कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना, छोडो बेकार की बातों में कहीं बीत न जाए रैना।" आप हमशा जिसमें आप को ख़ुशी मिलती है ना की वोह जिसमें समाज सब को ख़ुशी मिलती है। समाज कभी-कभी हम पर दबाव दाल देता है और हमे जो करना होता है वोह हम नहीं कर पते है। समाज से अलग रहना कोई बुरी बात नहीं है, समाज से अलग रेहान और समाज का विरुद्ध करन अकेले यह दर्शा ता है की आप कितने बहुदर, स्वतंत्र और होशियार है की आप खुद के लिए सच्च थे है नाकि की दूसरे आप के लिए सोच ते है।
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