Wednesday, December 19, 2018

फिल्में युवा का महत्वपूर्ण  हिस्सा है जो समाज  का  हिस्सा है !!

Image result for film watching theatreआजकल फिल्मों की हल्के मनोरंजन के साधन के रूप गिनती नही होती है । आज फिल्में हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग बन गई हैं । बच्चे-बूढ़े सभी फिल्मों की नकल करने की कोशिश करते हैं ।  नगर में चल रही किसी लोकप्रिय फिल्म से प्रेरित होकर लूटमार अथवा अपहरण की घटनाएं सुनने में आती हैं । शहर अथवा सड़क पर गुंडो का उपद्रव भी किसी फिल्म से प्रभाव लेकर युवा वर्ग द्वारा उत्पन्न किया जाता है । अत: आज समाज में व्याप्त कई बुराइयों और समस्याओं की जड़ फिल्में ही है । कुछ फिल्मों से समाज तथा युवा-वर्ग पर अच्छा प्रभाव भी पड़ता है । सामाजिक विषयों से संबंधित फिल्में युवावर्ग में देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और मानव-मूल्यों का प्रसार करती हैं । ऐसी फिल्में जाति-प्रथा, दहेज-प्रथा, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद जैसी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की प्रेरणा देती है । युवा वर्ग देश का भावी निर्माता है, उन पर फिल्मों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए उन फिल्मों का निर्माण होना चाहिए, जिनमें मनोरंजन और मार्गदर्शन दोनों का सम्मिलित पुट है । हिंसा की भावना समाज की प्रगति में बाधक है ।

Sunday, December 9, 2018

अलग होना ठीक है? 

Image result for different from the rest
      क्या अलग होना ठीक है? क्या लग सोच रखना ठीक है? हम अलग होते है तू समाज हमे अस्वीकार करती क्यों है? अगर हाँ तो हमे समाज अलग रहने की सज़ा क्यों देता है?  इतने सरे प्रश्न होंगे आप के पास यह विषय  से ले कर। हाँ! अलग होना समाज से हटके सोचना , देखना ठीक है! आप को हमेशा कहते होंगे की यह कर वार्ना लोग तुम में पे हसेंग, इस बात  के  लिए में सिर्फ एक चीज़ बोलूंगी जो हमारे प्रसिद्ध  किशोर कुमार जी ने  गया है "कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना, छोडो बेकार की बातों में कहीं बीत न जाए रैना।"  आप हमशा  जिसमें आप को ख़ुशी मिलती है ना  की वोह जिसमें समाज  सब को ख़ुशी मिलती है।  समाज कभी-कभी हम पर दबाव दाल देता है और हमे जो करना होता है वोह हम नहीं कर  पते है।  समाज से अलग रहना कोई बुरी बात नहीं है, समाज से अलग रेहान और समाज का विरुद्ध करन अकेले यह दर्शा ता है की आप कितने बहुदर, स्वतंत्र और होशियार है की आप खुद के लिए सच्च थे है नाकि की दूसरे आप के लिए सोच ते है। 

बेटी बचाओं ! बेटी पढ़ाओ ! 

Image result for beti bachao beti padhaoसमाज में हो रहा बदलाव में छात्र और युवाओं पर पड़ने वाला प्रभाव और योगदान पूरे परिदृश्य को बदलना है। अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंदी, आंदोलन, प्रदर्शन, सोशल मीडिया आज हर जगह सक्रिय है।  इन्हीं बिंदुओं को छुते हुए 'सामाजिक परिवर्तन में युवाओं की भूमिका' विषय पर यहां पीटरहॉफ में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। बेटी बचाओं ! बेटी पढ़ाओ ! यह संगठन युवाओं में अंतरराष्ट्रीय स्तर सद्भावना और शांति का संदेश फैलाने के लिए काम करता है। भारत में पढ़ने वाले विदेशी छात्र के लिए संगठन जहां उनके मामले का समाधान करता है वैसे विश्व एक एक सूत्र में पिरोने का प्रयास भी इसके माध्यम से किया जाता है। 27 साल से कार्यरत इस संगठन ने इस बार शिमला को सम्मेलन के लिए चुना है। 
Image result for romeo and juliet

 रोमियो और जूलियट


 रोमियो और जूलियट दो जी जो एक साथ रहने के लिए नियत , लेकिन वो दो अलग-अलग परिवारों से आते हैं। उनकी मृत्यु उनके दो परिवारों के बीच विवाद समाप्त होती है।  यह एक उदाहरण है  समाज का युवा पर प्रभाव का क्यूंकि अगर वो अपने आसपास प्यार नहीं देख ते तोह वोह प्यार में नहीं पद ते और फिर समाज ( जो उनकी परिवार है ) उन्हें अलग नहीं करता।
Image result for romeo and juliet
प्रत्येक सफल व्यक्ति जानता है कि उसकी सफलता  समाज पर निर्भर करता है। समाज एक ऐसे व्यक्ति का समूह है जिसकी राय समान है। समुदाय जो वास्तव में समाज में युवाओं के अपने मूल्य व्यक्त करते हैं, वे परिपक्व होने पर वयस्क भूमिकाओं को लेने के लिए तैयार रहते। समाज के मोर युवाओं को घर के माहौल में माता-पिता द्वारा पारित किया जाता है। यदि कोई युवा  समाज में रहता है तो उसे समाज से उम्मीद की निबाहना करनी चाहिए, अगर वोह यह करने में सफल नहीं होता हैए तोह उसेस समाज के कठिन समय देती है।